रविवार, 11 जनवरी 2009

डी डी ऐ और अनियमित कालोनी से

डी डी ऐ की ड्रा भी ऐसी सबका एक ही हाल
नाम बड़े और दर्शन छोटे सबको एक मलाल
सबको एक मलाल किया जो हरदम नया घोटाला
क्या कहने अफसर लोगों के क्लर्क बने अब लाला
लाला बन कर बैठ भी जाते तब भी बात थी अच्छी
कुछ पैसों की खातिर सबने अपनी ईमान ही बेचीं
नहीं भरोसा इनका कोई मगर है छत का सपना
एक ही सोच सबो के मन में घर बन जाए अपना
मगर चाल जब चले खिलाडी किसकी होगी हिम्मत
डी डी ऐ का घर मिल जाए कब तक झेले जहमत
इसीलिए अब तक दिल्ली में कटते गये कालोनी
अनधिकृत नाम दिया है जिसको जैसे हो अनहोनी
कैसे रोके इसे प्रशासन जो जनता की इच्छा
आसमान पर कीमत घर का कितनी करो समिचछा
बसते जायेंगे वरना कालोनी नियमित कहो या अनियमित
आख़िर इनके बस जाने में वे भी सदा हैं सम्मिलित से

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