मंगलवार, 23 मार्च 2010

अपने घर क्यों नहीं आते हो

नक्सलवादी स्वयं को तुम ताकतवर कैसे कहते हो ?
गोला बारूद पास तुम्हारे फिर भी छिप कर रहते हो |
नहीं मानते तेरी बातें क्योंकि तुम भरमाते हो
समता की बातें कर करके समता को झुठलाते हो
किससे तुम लड़ने को तत्पर किसने क्या नुकसान किया ?
नौजवान नादान उन्हें भी बेमतलब बहकाते हो |
तुम हो खाली फिर बलशाली किसका बल दिखलाते हो ?
नक्सलवादी बोलो तुम ताकतवर क्यों कहलाते हो ?
बैठे कमजोर देश को शायद इसका पता नहीं
देशद्रोही परदेशी पिट्ठू कह दें तो भी खता नहीं
लाते हो व्यवधान निरंतर काम कोई हो सरकारी
होता है नुकशान हमारा इसका तुमको पता नहीं
कहते तुम मेरे संरक्षक मौत निरंतर लाते हो
नक्सलवादी बोलो तुम ताकतवर क्यों कहलाते हो ?
सड़क बंद रेलें रोकी बंद किया बाजारों को
हुआ हर्ज अब लाखों का बेकार किया हजारों को
क्यों तुमको चुपचाप सहें क्या काम किया है प्रगति का ?
दुनिया वाले देख रहे हैं तेरे सभी नजारों को
क्षेत्र अभी अपना अशांत क्यों आजादी झुठलाते हो ?
नक्शाल्वादी बोलो तुम तकतावार क्यों कहलाते हो ?
यदि देश है तब हीं हम हैं बरना होंगे परदेशी
आ जाओ वापस अपने घर त्यागो अपनी मदहोशी
देता है हथियार तुम्हें तो खबरदार कर दो उनको
बन बैठा बेकार का दुश्मन जैसे ऐंठा हो रस्सी
उगने दो शान्ति की फसलें क्यों बेकार डराते हो
नक्सलवादी बोलो तुम अपने घर क्यों नहीं आते हो ?

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