शनिवार, 14 अगस्त 2010

आजादी का तिरसठवाँ साल

आजादी का तिरसठवाँ साल

वर्षों बीते आजादी के क्या कीमत ईमान की
बच्चा बच्चा देख रहा है करतब कुछ इंसान की
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम

लूट मची है सभी क्षेत्र में सरकारें सहभागी हैं
आज देश के हर कोने में इतने सारे बागी हैं
कर का दर इतना ऊपर की इसमें चोरी होती है
अधिकारी नेता और मंत्री सबके सब अब दागी हैं
दीन हीन हम बन बैठे पर कमी नहीं गुणगान की
बच्चा बच्चा देख रहा है करतब कुछ इंसान की
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदेमातरम

झारखंड के पूर्व मंत्री कोड़ा की करनी काली है
अरबों का जो किया घोटाला जनता आज सवाली है
फंसा पडा जो जेलों में देश द्रोह का काम किया
नाम नहीं लेनेवाला अब जीवन विष की प्याली है
बदनाम किया आदिम समाज को क्या कीमत बलिदान की
बच्चा बच्चा देख रहा है करतब कुछ इंसान की
वंदेमातरम बंदेमातरम बंदेमातरम बंदेमातरम

कामनवेल्थ के कारन देखो कितने तो बदनाम हुए
कलमाड़ी से शिला जी तक सबके सब नाकाम हुए
हर कोने में पड़े हैं रोड़े कंकड़ मिटटी यहाँ वहाँ
ऊपर से बरसात का मौसमकूड़ा कचरा सड़े हुए
असफल होकर चौड़ा सीना क्या है दीन ईमान की
बच्चा बच्चा देख रहा है करतब कुछ इंसान की
बंदेमातरम बंदेमातरम बंदेमातरम वंदेमातरम

आजादी बस मिली उन्हें जो अफसर मंत्री नेता हैं
मिलता है अधिकार उन्हें और बनते सभी प्रणेता हैं
कुल नासक करनी जब उनकी कैसे हम विस्वास करें
व्यवसायी बन बठे हैं सब हम तो केवल क्रेता हैं
आज नहीं कल कैसे अपना जनता है परेशान सी
बच्चा बच्चा देख रहा है करतब कुछ ईन्सान की
वंदेमातरम वंदेमातरम वंदेमातरम वंदेमातरम

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