गुरुवार, 13 जनवरी 2011

लेकर आये प्याज

प्याज नहीं अब प्याज है वह तो एक अनार
कितनों के आंसू बहे कितने पड़े बीमार
कितने पड़े बीमार गजब है देखो इसकी करनी
कितने तो ऊपर जा पहुंचे कितने पकडे धरनी
कड़ी मसक्कत कर रहे नेता और अधिकारी
मदर डेरी के बूथों पर प्याज मिले सरकारी
लेकिन ऊँची और ऊँची जब कीमत चढ़ती जाए
जनता की परेशानी से तब मनमोहन घबराए
पगड़ी पहनी, कुर्ता डाला , साफ़ कराया चश्मा
जमाखोरी करने वालों पर चले लगाने एस्मा
लेकिन गर्जन करते निकले मंडी के व्यापारी
लगी मनाने आगे आकर अपनी शीला न्यारी
क्या होगा अब हाल हमारा देखो हे भगवान्
देना चाहो जो अगर देदो एक वरदान
नयन निरंतर बह रहे सुन लो विनती आज
हाल चाल जो लेने आये लेकर आए प्याज

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