शनिवार, 18 जून 2011

लोकपाल के सन्दर्भ में




पानी में मछली रहे अपने मद में चूर

बाहर तो आकर वह देखे दुनियां की दस्तूर


दुनियाँ की दस्तूर तभी तो अकाल ठिकाने आये


न सम्हले तो तड़प तड़प कर अपने प्राण गँवाये


वैसे हीं सत्ता धारी तुम करो न आना कानी


जन जन के सेवक तुम सब हो करो नहीं मनमानी


अन्ना के अनशन को समझो लोकपाल आने दो


बनता है जो शख्त नियम तो उसको बन जाने दो


कल को तुम भी सुखी रहोगे होगी न नादानी


धरती पर क्या आसमान में मिलेगा तुमको पानी



1 टिप्पणी:

Shyam ने कहा…

सुन्दर कृति और भावना.
My Poster:
Make the
Prime Minister
(Guess: A RAJA as the PM)
accountable &
Save the Jan Lokpal!
Else,
BOYCOTT
Your Local MP’s Party in
NEXT ELECTIONs
भ्रष्ट/निकम्मा प्रधानमंत्री - सबसे बड़ा खतरा
- श्याम बियानी

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