बुधवार, 2 मई 2012




                Nyaa Prabhaat

मन प्रशन्न अत्यंत है देखा नया प्रभात

जागने लगी है लालसा कट गई काली रात

सागर तट मुंबई बसे किसकी होगी आज

अन अधिकृत रहते सभी कहने लगा है राज



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